जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे ने ढारा में मनाया 72 वां गणतंत्र दिवस

विष्णु लोधी ने दी जिले वासियों को राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं…..
बिना सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता के राजनीतिक स्वतंत्रता का कोई मायने नहीं है।
जो सपना डॉ अम्बेडकर ने भारत के लिए देखा वही सपना स्व जोगी ने छत्तीसगढ़ के लिए देखा।
डोंगरगढ़ – जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के जिला अध्यक्ष विष्णु लोधी ने जिले वासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए कहा 72 साल पहले आज के दिन स्वतंत्र भारत की संवैधानिक सभा ने बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर द्वारा निर्मित संविधान को लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। अगर कोई मुझसे पूछे कि आपका धर्म क्या है, तो मेरा पहला जवाब यही होगा-“मेरा धर्म भारत का संविधान है।” मैं यह नहीं कहता कि हमारा संविधान सबसे उत्तम है। 72 साल बाद भी इसमें कई विसंगतियाँ है। स्वयं डॉक्टर अम्बेडकर ने संविधानिक सभा की चर्चाओं में इस सम्भावना को अनेकों बार स्वीकार किया है किंतु फ्रांसीसी चिंतक रोसू की तरह उन्होंने मानवता की अंतर्निहित अच्छाई पर भरोसा करके इन विसंगतियों को दूर करने की जवाबदारी आने वाली पीढिय़ों को सौंप दी थी। इसका सबसे बड़ा कारण विश्व के सबसे प्राचीन और बहुलवादी भारतीय सभ्यता को बिना बल प्रयोग के एक गणतंत्र में संहिताबद्ध करने की अभूतपूर्व चुनौती थी।
बाबासाहब की यह मान्यता थी कि बिना सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता के राजनीतिक स्वतंत्रता का कोई मायने नहीं है। यह बात छत्तीसगढ़ निर्माण के 22 सालों बाद भी प्रदेश में बहुत हद तक लागू है। उनकी इसी बात को हमारे दल के संस्थापक और छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री अजीत जोगी ने ‘अमीर धरती के गरीब लोग’ की संज्ञा दी थी।
आज से दो दशक पहले छत्तीसगढ़ के किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के उद्देश से स्व . जोगी जी ने किसानों से सीधे धान ख़रीदी करने का क्रांतिकारी निर्णय लिया था। उन्हीं की मंशा के अनुरूप वर्तमान सरकार किसानों को धान का ₹2500 प्रति क्विंटल समर्थन मूल दे रही है। इसके लिए मैं सरकार को बधाई देता हूँ। किंतु क़ोरोनाकाल, तेज़ी से बढ़ती महंगाई और बारदाने, खाद और कीटनाशक की व्यापक कालाबाज़ारी के कारण अब धान के समर्थन मूल को ₹2500 से ₹3200 करना अनिवार्य हो चुका है।
ग्रामीण भारत को सशक्त और सुदृढ़ बनाने के लिए त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई है किंतु बड़े दुर्भाग्य की बात है कि विगत तीन सालों में छत्तीसगढ़ के गाँवो में विकास कार्यों की गति रुक सी गई है। “नरवा गरवा घुरवा अउ बारी” जैसे नारों के शोर में सरकार बेरोज़गारी जैसी गम्भीर समस्या से हमारा ध्यान भटकाने में लगी है।

कांग्रेस की राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी संविदा कर्मचारियों और दैनिक वेतन भोगियों को नियमितिकरण और संविलियन का आश्वासन दिया था। 3 साल से अधिक समय बीत चुका है किंतु अनियमित या संविदा कर्मचारियों को न तो समान वेतन, न समान मेडिकल और न ही समान पेन्शन का लाभ मिल पा रहा है। इसमें विशेष रूप से पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, विकलांग मितान, गौसेवक, प्रेरक, जनभागीदारी शिक्षक, NHRM कार्यकर्ता, सफाई कर्मचारी, अतिथि शिक्षक और व्याख्याता, और 8 साल से अधिक विभिन्न सरकारी उपक्रमों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी सम्मिलित हैं। सरकार पूर्ण शराब बंदी लागू करने के अपने वादे से भी मुकर चुकी है। 3 वर्षों में 21 लाख से अधिक ग़रीबों के प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास का निर्माण कार्य बंद पड़ा है।
डॉक्टर अम्बेडकर की यह मान्यता थी कि जनता के पैसे से संचालित सार्वजनिक उपक्रमों का एकमात्र उद्देश जनसेवा होना चाहिए न कि मुनाफाखोरी। उनकी मंशा से ठीक विपरीत BSP, SECL, SECR, NTPC, NMDC CSEB जैसी अनेको कम्पनियों ने जहां अपना उत्पादन चौगुना कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ नियमित भर्तियाँ पूर्व की तुलना में मात्र 10-15% भी नहीं बची है। जो कम्पनियाँ एक समय में छत्तीसगढ़ के विकास के एंजिन का काम करती थीं, आज उनकी भूमिका ईस्ट इंडिया कम्पनी जैसी हो चुकी है।

सरकार का तर्क कि उसके पास संसाधन नहीं है से मैं कदापि सहमत नहीं हूँ। हक़ीक़त तो यह है कि इस सरकार के पास चुनौतियों का सामना करने की न तो सोच है और न ही इच्छाशक्ति है।
आज हम एक नई लड़ाई का शंखनाद करने जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में जितनी भी सामाजिक और आर्थिक बेड़ियाँ और ज़ंजीरें हैं, उनको तोड़कर हम एक ऐसे राज्य के निर्माण के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने जा रहे हैं जहाँ का हर व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पूरी तरह स्वतंत्र होकर, बिना किसी भय, भेदभाव या अभाव के, राष्ट्र और राज्य के विकास में अपना सम्पूर्ण योगदान दे सके। बहुत संक्षेप में आज मैं आपके समक्ष इसकी कार्य योजना प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मेरा मानना है कि उपभोग-आधारित GST प्रथा लागू होने से छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादन आधारित राज्यों का भारी नुकसान हुआ है। अगर हमें आगे बढ़ना है को छत्तीसगढ़ को अपनी अर्थव्यवस्था उत्पादन-आधारित से उपभोग-आधारित बनाना ही होगा। ऐसा तब ही सम्भव हो पाएगा, जब हम
- प्रदेश में कार्यरत सभी बड़े-छोटे औद्योगिक घरानों और व्यवसायों को प्रदेश में कार्य करने की अनुमति छत्तीसगढ़ में पंजीकृत होने की शर्त पर दें, अन्यथा उनका प्रदेश के कार्य करने का लाइसेन्स निरस्त माना जाएगा।
- प्रदेश से समस्त कच्चे माल जैसे कोयला, लोहा, लाइमस्टोन, बॉक्साईट, ग्रेनाइट और वनोपज के निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा।
- कच्चे माल का वैल्यू एडिशन (उत्पादन) का कार्य प्रदेश में ही करना होगा।
- छत्तीसगढ़ में संचालित सभी उद्योगों व व्यवसायों को प्रदेश के मूल निवासियों को 100% आरक्षण देना होगा।
- ऐसी सभी संस्थाएँ जो छत्तीसगढ़ में अपना पंजीयन कराती हैं, को राज्य सरकार अपने हिस्से के S-GST में 50% छूट देकर छत्तीसगढ़ को भारत का पहला टैक्स हेवन बनाएगी।
उपरोक्त 5 कदम GST से हो रहे छत्तीसगढ़ को आर्थिक नुकसान की भरपाई करने और छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को स्थायी रोजगार के भरपूर अवसर देने के साथ-साथ राज्य में सिंगापुर की तर्ज पर अभूतपूर्व आर्थिक क्रांति भी लाएगी।
यही सपना बाबा साहब डॉक्टर अम्बेडकर ने भारत के लिए देखा था और यही सपना स्वर्गीय श्री अजीत जोगी ने हमारे छत्तीसगढ़ के लिए देखा था। आज के पावन दिन पर हम सब इन दोनों महापुरुषों के सपनों को साकार करने की अपनी प्रतिज्ञा को दोहराएँ।
भारत माता की जय !
छत्तीसगढ़ महतारी की जय
विष्णु लोधी
जिला अध्यक्ष
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)
मान सिंग की रिपोर्ट—-