474 साल बाद गजकेसरी योग में मनेगा रक्षाबंधन पर्व **

खरोरा:-भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व 22 अगस्त को मनेगा। इस दिन भद्रा नहीं होने से पूरे दिन पर्व रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार 474 साल बाद गजकेसरी योग में धनिष्ठा नक्षत्र में रक्षाबंधन पर्व आया है ।इस दिन शुभ फल देने वाले ग्रह योग रहेंगे ।खरोरा के ज्योतिषाचार्य पंडित धनंजय शर्मा ने बताया कि लोक जीवन में यह भाई बहन का त्यौहार है ,शास्त्रीय परंपरा में इसमें रक्षा सूत्र का बंधन होता है ।यह रक्षा सूत्र पहनने वाले की रक्षा के लिए होता है ना कि पहनाने वाले की रक्षा के लिए ।यह रक्षा सूत्र गुरु अपने शिष्य को पत्नी अपने पति को बहन अपने भाई को रक्षा के लिए बांधती है ।इस रक्षा सूत्र को घर पर ही तैयार किया जाता है। पंडित जी के अनुसार इसमें यदि भद्रा आ जाए तो उसका त्याग किया जाता है ।भद्रा में श्रावणी एवं फाल्गुनी दोनों वर्जित है। क्योंकि श्रावणी में राजा का एवं फाल्गुनी में प्रजा का नाश होता है। इस बार रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा नहीं है भद्रा 22 अगस्त की सुबह 5:38 पर ही समाप्त हो जाएगी ।पंचक रहेगा किंतु इस पर्व पर पंचक का होना कोई बाधा नहीं है। व्रत करने वाले सुबह स्नान के बाद देवता, ऋषि, एवं पितरों का तर्पण करें ।दोपहर के बाद ऊनी सूती रेशमी पीला वस्त्र लेकर उसने सरसों ,केसर, चंदन, चावल, दूर्वा एवं स्वर्ण रखकर बांध दे। एक कलश की स्थापना कर उस पर रक्षा सूत्र को रख विधिवत पूजन करें तथा उसके बाद विद्वान ब्राह्मण से रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में बंधवा ले। यह रक्षा सूत्र 1 वर्ष पर्यंत उसकी रक्षा करता है ।इस वर्ष रक्षाबंधन पर्व पर धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। सामान्यतः यह त्यौहार श्रवण नक्षत्र में मनता है। गुरु कुंभ राशि में वक्री है उनके साथ चंद्र का गोचर गजकेसरी योग का निर्माण कर रहा है ।सूर्य बुध एवं मंगल सिंह राशि में रहेंगे सूर्य के स्वयं के स्वामित्व वाली राशि है ।साथ में मंगल उसका मित्र है ।शुक्र मिथुन राशि में रहेगा ।यह पर्व शुभ फल प्रदान करने वाला होगा ऐसा योग इससे पूर्व 474 साल पहले बना था तब 11 अगस्त 1547 को रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया था। उस समय भी धनिष्ठा नक्षत्र में उपरोक्त ग्रहों की युति बनी थी पंडित धनंजय शर्मा
लालजी वर्मा की रिपोर्ट….
