सभी सहकारी समिति को नगद खाद देने का आदेश पारित करें कलेक्टर

आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 आवश्यक वस्तुओं में दवाएं, उर्वरक (यूरिया, डिएपी) आता है कलेक्टर कार्यवाही करें

छोटे खाद विक्रेताओं को परेशान न करे तथा खाद कंपनियों की जवाबदेही तय हो तथा उनपर भी करवाही हो

सभी ऐसे उर्वरक विक्रेता, जो यूरिया डी ए पी या अन्य खाद जिस भी कंपनी से लेना चाहें, वो अपनी मांग कृषि विभाग को दे दे तथा कलेक्टर महोदय के सरकारी अकाउंट में या कृषि विभाग के सरकारी एकाउंट में अपना पैसा अग्रिम जमा कर दे। ताकि छोटे लाइसेंसी दुकानदार को शासन के हस्तक्षेप से निर्धारित मूल्य में यूरिया डीएपी मिल सके और वे उचित मूल्य में कृषकों को उपलब्ध करा सके।
वर्तमान में सोसाइटी 6 महीना का उधारी देकर 266 रुपए में यूरिया और 12 सो रुपए में डीएपी बेचता है और मोटा कमीशन सोसाइटी को जाता है। इसके उलट खाद कंपनियां होलसेलर के माध्यम से छोटे दुकानदारों को प्रति बोरी यूरिया या डी ए पी खाद बेचने के एवज में सल्फर/जिंक/ जाइम या अन्य प्रकार के प्रोडक्ट लिंक करके देती है, जिसे लेने पर ही खाद मिलता है। बोलचाल की भाषा मे इसे लदान कहते है। परिवहन भाड़ा और हेमाली अलग से छोटे दुकानदार को देना पड़ता हैं। लदान सामग्री, भाड़ा, हमाली का उल्लेख छोटे दुकानदार को दिए जाने वाले बिल में नही रहता है। लदान सामग्री (सल्फर/जाइम/जिंक आदि) की मांग कृषकों के बीच नही रहती, फलस्वरूप या तो ये सामग्री अनबिकी पड़ी रहती है या मजबूरी में किसान को बेचना पड़ता है जो अधिक मूल्य में खाद बेचने जैसी शिकायत का रूप ले लेती है। छोटे दुकानदार खाद के अलावा कीटनाशक, बीज आदि का भी व्यवसाय करते है और किसान भाई उसी दुकान से बीज कीटनाशक का सौदा करते है जिस दुकान से उन्हें खाद भी मिल जाय। इस वजह से मजबूरी में छोटे दुकानदारों को होलसेलर से लदान के साथ खाद लेना पड़ता है जिसका अंतिम भार किसान भाइयों पर ही पड़ता है।
शासन छोटे दुकानदारों की इस परेशानी को बिना जाने या इसका निवारण किये बिना सीधे दंडात्मक कार्यवाही के निर्देश जारी कर देता है। ऐसा नही है कि इसका कोई उपाय नहीं है, जहाँ चाह वहाँ राह, इसी महासमुंद जिले में जब बड़ी बड़ी खाद कंपनियों ने लदान सामग्री लेने की अनिवार्यता रखी थी तो कृषि विभाग ने होलसेलर के गोदाम और दुकान में कृषि विभाग के कर्मचारियों की निगरानी में छोटे दुकानदारों को निर्धारित मात्रा में सभी उर्वरक निर्धारित मूल्य से कम पर उपलब्ध कराया था जो अंततः किसानों को उचित मूल्य पर प्राप्त हो सका था। इस व्यवस्था को पुनः प्रारंभ करना सराहनीय कदम है, किंतु इसके साथ ही उर्वरक विक्रेता कंपनी को जबरन लदान सामग्री देने से क्यो नही रोका जा सकता ?
अगर सभी जिले के कलेक्टर या कृषि विभाग खाद कंपनियों के खिलाफ भी कार्यवाही का मनोबल रखते हो तब तो छोटे दुकानदार अर्थात ग्रामीण खाद विक्रेता को शासकीय कर्मचारियों द्वारा प्रताड़ित या आतंकित किये जाने का भी कोई अधिकार नही है।
आज सभी कम्पनी यूरिया डीएपी के साथ लादन के रूप में 1 से 2 लाख रुपये का अन्य प्रोडक्ट दे रहे है जिसे रोकने के लिए मेरा सुझाव है
1 सभी सहकारी समिति को नगद खाद बेचने के लिए ओपन किया जाए ताकि जो किसान अपनी फसल लगा चुके हैं उन्हें उचित मूल्य पर खाद यूरिया 266 और डीएपी 1200 मिल सके

2 राज्य में उर्वरकों का मिश्रण बनाने वाली अनेकों कंपनियां काम।कर।रही है, जो अवैध रूप से अनुदानित खाद जैसे यूरिया डी ए पी, पोटाश आदि का उपयोग उर्वरक मिश्रण बनाने में कर रही है, वो भी बिना।शासन की अनुमति के। इनपर तत्काल कार्यवाही की जावे ताकि किसानों को यूरिया जैसी खाद इनके चंगुल से छुड़ाकर दी जा सके

जागेश्वर जुगनू चन्द्राकर
जिला पंचायत सदस्य
महासमुन्द

चिराग की चिंगारी
बजरंग लाल सैन

Youtube

मिल्खा सिंह ज्ञानी

एडिटर-इंडिया007न्यूज मो.+91 98279 34086

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button