गोवर्धन लीला ,भगवान कृष्ण रुक्मणी विवाह कथा का वर्णन

खरोरा;– ग्राम भरूवाडीह कला में चल रहे भागवत कथा के सातवें दिन कथावाचक पंडित घनश्याम प्रसाद तिवारी ने कथा प्रसंग में कहा गोवर्धन लीला ,भगवान कृष्ण रुक्मणी विवाह कथा का वर्णन
कि 64 दिन में चौसठ कलाओं की विद्या कृष्ण और बलराम ने गुरु सांदीपनी के आश्रम में प्राप्त किया। जो भगवान स्वयं वेद का रूप है ।उसे भला विद्या प्राप्त करने की क्या आवश्यकता। मगर दुनिया वालों को बताया बिना गुरु के ज्ञान पाना असंभव है ।इसलिए प्रभु ने गुरु के आश्रम में जाकर गुरु की गरिमा बढ़ाई।
भौंमासूर दैत्य बड़ा दुष्ट और पापी था ,उसने सोलह हजार एक सौ कुंवारी कन्याओं को बंदी बना करके रखा था। और चाहता था ,बीस हजार की संख्या में कन्या होने पर एक साथ विवाह करेगा। कृष्ण को जब पता चला तो रुकमणी आदि आठ पटरानियों के होते हुए भी प्रभु ने सभी कन्याओं का एक साथ पानी ग्रहण किया। कृष्ण की यही मंसा थी, यदि इन कन्याओं को बाहर छोड़ दूंगा, तो सभी कन्याएं दूषित हो जाएगी। माता पिता इनको पास रखेंगे नहीं, इसलिए भगवान ने सब को अपना लिया।
कामदेव को भगवान शंकर ने अपनी तीसरी नेत्र की ज्वाला से भस्म कर दिया था। भगवान शिव ने कामदेव को वरदान दिया था, जब कृष्ण जी का अवतार होगा।तब कामदेव तुम कृष्ण के पुत्र के रूप में प्रद्युम्न नाम से अपना शरीर पाओगे। आज भगवान कृष्ण ने अनंग कामदेव को अंग प्रदान किया और प्रद्युम्न के रूप में पुत्र रूप में अपना लिया।
