एक शक्तिपीठ यहाँ भी है।

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण इन संस्कृत नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः
सरायपाली छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिला सरायपाली अनुविभाग अंतर्गत सरायपाली तहसील के ग्राम पंचायत चुराकूटा पंचायत में एक भेव्य मंदिर माता आदिशक्ति मां रुद्रेश्वरी सिंघोडा घाटी का है। इस मंदिर को एक चारों धाम यात्रा पर निकले संत श्री दुली चंद शर्मा के द्वारा बनवाया गया है। जिसे लोग वर्तमान में स्वामी शिवानंद के नाम से जानते है। यह वह स्थान है जो कभी संबलपुर के राजा वीर श्री सुरेंद्र शाय के वंशजों के द्वारा देवी का मंदिर बनवाया गया था। जिसे पूर्व आक्रमणकारियो के द्वारा माता के मंदिर की ध्वस्त कर दिया गया था। यह क्षेत्र पूर्व में संबलपुर का क्षेत्र सांकरा जोक नदी तक संबलपुर राजा का क्षेत्र रहता था। लेकिन मध्यप्रदेश के निर्माण होने पर जोक नदी से बंजारी नाका तक क्षेत्र को कांग्रेसियों के द्वारा एक सडयंत्र पूर्वक मध्यप्रदेश में जबरन विवाझन किया गया है। अचानक एक सन्याशी जिसने कई पीड़ा सहते हुए कांग्रेसियों की ज़ुल्म की परवाह नहीं करते हुए इस माता की मंदिर का निर्माण जारी रखा। मंदिर की खुदाई में माता शक्ति के कई आभूषण प्राप्त हुए है, मंदिर होने का प्रमाण। इस मंदिर के निर्माण को रोकने के लिए पूर्व कलेक्टर स्व. अजित जोगी के द्वारा रायपुर कलेक्टर होने पर निर्माण को रोकने की धमकी भी दी गई। बाबा जी के द्वारा मंदिर में लगाये गए राशि के रोक के लिए भी कई बार बाबा जी के आश्रम में इनकम टैक्स वालों का इन कांग्रेसियों के द्वारा छापा भी मरवाया गया था। उसके बावजूद भी बाबा ने मंदिर निर्माण पूरा किया है। इस मंदिर के निर्माण में आ रही वन क्षेत्र समन्धित मंजूरी को सन 1977 को जनता पार्टी शाशन काल के वन मंत्री स्व. तीन इक्का जी वन मंत्री के द्वारा वन क्षेत्र अंतर्गत मंदिर बनवाने की अनुमति करवाई गई थी। माता के मंदिर में रोज सैकड़ो भक्तों का आना जाना लगा रहता है। दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करवाने के नाम पर माता के दर्शन करते है। माता रुद्रेश्वरी सिंघोड़ा घाटी का मंदिर दक्षिण मुखी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में अधिकांश भक्त उड़ीसा से लगा होने के कारण माँ चंडी के नाम से जानते है। इस मंदिर के निर्माण में सबसे अधिक ट्रक मालिक एवं ड्राइवरो के द्वारा सेवा दिया गया हैं।
चिराग की चिंगारी बजरंग लाल सेन