आयुक्त न्यायालय में सोनोग्राफ होता है मामलों का

रायपुर सरायपाली- राजेश मित्तल ने जो भूमि खरीदी है खसरा नंबर 730/16 सत्यनारायण ने जो भूमि खरीदी है वह 730/10 का टुकड़ा जो अपने आप खसरा नंबर 730/13, 730/24, 730/34 बन गई है। वही किसान की भूमि का खसरा नंबर 730/1 था वह 730/10 बन गया जिसका भी किसान किताब किसान के पास है। यह सब राजस्व अधिकारियों को गांधी जी के प्रभाव का खेल है। वही पटवारी हल्का नंबर 14 में स्थित 730/10 खेत पर बने मकान के साथ किसान के खेत के कुछ भागों को राजेश मित्तल के द्वारा बाहर से मजदूर लाकर जिनमे SC, ST जैसे मजदूरों से सहयोग लेके एक किसान के भूमि को जबरन गांधी जी के दम पर कब्जा किया जा रहा है।

जिसकी शिकायत अनुविभागीय अधिकारी आई.ए.एस श्री कुणाल दुदावत के न्यायालय में दिनांक- 17/06/2020 को आवेदन पेश किया। जिस पर कार्य बंद हो चुका था। लेकिन अचानक 15/06/2020 को राजेश मित्तल ने फिर से अतिक्रमण का कार्य चालू कर दिया है। मामले में पता करने पर मालूम हुआ कि राजेश मित्तल के द्वारा न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी को फर्जी व बनावटी और गलत दस्तावेजों के सहारे किसान के दिये गए आवेदन को खारिज करा दिया था। राजेश मित्तल ने न्यायालय को बताया कि व्यवहार न्यायालय एवं जिला शस्त्र न्यायालय सरायपाली में केस जीत चुके है। लेकिन राजेश मित्तल ने न्यायालय को यह नहीं बताया कि उक्त खसरा नंबर भूमि का विवाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई लंबित है। उसके उपरांत भी राजेश मित्तल ने तहसीलदार और पटवारी का सहयोग लेकर विवादित नक्शे को भी सुधार कर इस मामले में पेश किया है।

महासमुन्द न्यायालय मेंअपील किया न्यायालय श्रीमान अतिरिक्त जिलादिश महासमुन्द कोर्ट कैम्प सरायपाली को अपील पेश की। जिस मामले में पेश किए गए किसान के दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए न्यायालय स्थगन आदेश दिनांक- 16/10/2020 को आदेश दिया कि किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जाए। उसके बावजूद राजेश मित्तल ने अपने निर्माण को बंद नहीं करते हुए उक्त किसान की भूमि पर जबरन निर्माण कर रहा है। जिसकी शिकायत नगरपालिका में की गई तो मालूम हुआ कि मनोज मित्तल पिता काशीराम के नाम पर उक्त भूमि से संबंधित एक फर्जी अनुमति मिली है। जिसमें 22/05/2000 को नगरपालिका ने सत्यनारायण राजेश मित्तल के नाम पर नविनिकरण किया गया है। वही 15/01/2019 को पुनः उसकी भूमि पर मनोज मित्तल के नाम पर एक नवीनीकरण राजेश मित्तल के द्वारा फर्जी तरीके से करवाया गया है। विवादित भूमि पर मकान का निर्माण बंद नही करने पर किसान ने इसकी जानकारी तहसीलदार, पुलिस थाना सरायपाली को दी। जिसमें तहसीलदार युवराज कुर्रे और थानेदार वीणा यादव के सहयोग से राजेश मित्तल के द्वारा कृषि भूमि पर बिना कोई वैध अनुमति के गांधी जी के प्रभाव से न्यायालय आदेश का पालन नहीं करते हुए कोरोना काल में बड़े तेज़ गति से अपना अवैध निर्माण करता रहा है। कोरोना काल हटने के बाद न्यायालय अपर कलेक्टर के द्वारा गांधी जी के प्रभाव से न्यायालय में दिए गए आदेश प्रकरण के निराकरण तक स्थगित रखे जाने का आदेश को पेशी से पहले ही 24/02/2021 को अपने ही आदेश को अचानक निरस्त कर देते है।

जिसकी अपील रायपुर संभाग में जिसकी अपील पुनः किसान के द्वारा समक्ष न्यायालय श्रीमान अपर आयुक्त रायपुर संभाग रायपुर छत्तीसगढ़ में एक अपील अपर कलेक्टर के विरुद्ध 17/02/2021 को किसान ने आवेदन पेश किया है। जिसमें आयुक्त न्यायालय के द्वारा किसान को कई चक्कर कटवाने के बाद एक बार सुनवाई स्थगन के लिए हुआ था। जिस पर कई दिनों तक आदेश नहीं हुआ और दिनांक- 29/09/2021 को आयुक्त महोदय के द्वारा बिना किसी केस का अवलोकन किये किसान को कहते है कि दूसरे की भूमि को हड़पते हो। और केस की आगे सुनवाई करते हुए अंतिम आदेश हेतु आयुक्त महोदय ने 13/10/2021 को पेशी दी है जानबूझकर। क्या आयुक्त महोदय को यह जनकारी नहीं कि 12 तारिक के बाद से छुट्टियां चालू है? राजेश मित्तल ने अपने निर्माण को पूरा करने के लिए ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों गांधी जी के सहयोग से उक्त कृषि भूमि पर जबरन बिना किसी वैध दस्तावेजों के अवैध निर्माण कर रहा है।

अब तो इन्हें पूर्ण विश्वास हो चुका है कि गांधी जी के रहते इस प्रकार के अवैध निर्माण को कोई रोक नहीं सकता। क्योंकि विवादित भूमि पर विद्युत विभाग के द्वारा एक ट्रांसफार्मर लगाया जा रहा है। जिसकी आपत्ति करने पर विभाग के द्वारा बताया गया कि विजय काकरिया, सुमित ज्वेलर्स मालवी रोड रायपुर वाले ने इस विवादित भूमि पर फर्जी दस्तावेज के सहारे विद्युत कनेक्शन ले रहा है। क्योंकि विजय काकरिया और राजेश मित्तल के द्वारा सुमित ज्वेलर्स खोलने के लिए अग्रीमेंट हुआ है। अब आप समझ जाए कि एक सोने का व्यपारी और एक किसान के बीच गांधी जी के सहयोग से जीत कहा मिल सकती है। इस करके राजस्व न्यायालय जो भ्रष्टाचार का अड्डा है। इस राजस्व न्यायालय को बंद करके न्यायपालिका में समावेश करना ही गरीबों को न्याय मिल सकता है। क्योंकि इस मामले में यह तो प्रमाणित हो चुका है कि तहसीलदार से लेकर आयुक्त तक गांधी जी को देखकर काम करते है।

चिराग की चिंगारी बजरंग लाल सेन
