धर्मातरंण के खिलाफ आदिवासी समाज ने एक होकर मुखरता हुए….

धर्मातरंण के खिलाफ 13सितंबर को केशकाल ब्लाक के सबसे पिछड़े आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र धनौरा ग्राम पंचायत के ग्रामसभा में ग्रामवासियों ने बड़ी मुखरता से उठाया। भौगोलिक एवं सामाजिक संरचना-संशाधन के आभाव के चलते गरिबी- अशिक्षा के अभिशाप से अभिसप्त सीधे सहज लोगों को महज प्रार्थना से बिल्कुल चंगा कर देने का और हर बला आफत से मुक्त हो जाने तथा जीवन खुशहाल हो जाने जैसा लुभावनी ख्वाब दिखाकर प्रार्थना में आने उत्प्रेरीत कर अपने मायाजाल में फांसकर मतातंरीत धर्मातंरीत करने गांव के माटी पुजारी गांयता ग्राम पटेल सरपंच को बगैर बताये लीप छिपकर बाहर से पहुंचकर प्रार्थना सभा कराने वाले लोगों पर और बस्तर के पेन शक्तियों एवं देवी -देवताओं के प्रति स्थापित आस्था पर आघात् पहुंचाते मतांतरीत धर्मातंरीत करने कराने और गांव गांव में अपना एक ग्रुप खड़ा करके पीढ़ी पुरखा से चले आ रहे आपसी आत्मिय संबंध में खलल डालकर विद्रोह की भावना भड़काकर विषम हालात निर्मित करने के षडयंत्र पर अविलंब रोक लगाते विघ्नसंतोषीयों के विरूद्ध प्रभावी कार्रवाई करने की मांग उठाया गया। गौर करने वाली बात है आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग के अंदरूनी गांव गांव में बहुत तेजी से मतांतरण/धर्मातरंण कराने का षडयंत्र द्रूत गति से फल फूल रहा है। ऐनकेन प्रकारेंण प्रार्थना सभा में बुलवाकर उन्हें पुरखों से जिन पेन शक्तियों एवं देवी देवताओं के प्रति वो अटूट आस्था रखते पूजा पाठ करते थे उनके खिलाफ अनाप शनाप बातें उनके जेहन में बैठाकर उन्हें उनकी पूजा पाठ न करके उनका तीरस्कार करने के लिए समझा दिया जाता हैं। पूजा उपासना भर बदल लें तो कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता बात इस बात से बिगड़ने लगी जाती है की उन्हें गांव में समय समय पर गांव की शितला माता एवं पेन शक्तियों की होने वाली पूजा पाठ से भी और गांव बनाने हेतु किए जाने वाले आयोजन से भी उन्हें दूर रहने भडका दिया जाता है।जिसके चलते एक ही जाति समाज परिवार के लोग आपस में दो भाग में बढ़ते जा रहें हैं और उनमें कटुता वैमनस्यता उत्पन्न होते जा रहा है।जिसके फलस्वरूप ही अब मतांतरीत -धर्मातरीत ब्यक्ति एवं परिवार में मौत हो जाने पर उसे अंतिम संस्कार करने हेतु गांव वाले अपने श्मसान एवं गांव सीमा की माटी में मिट्टी देने (दफन)करने जमीन देने तैयार नहीं होते और शोक दुख के अवसर पर दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति पैदा होने लगा है। सरकार को और समाज के प्रबुद्ध समझदार लोगों के द्वारा समय रहते अगर बहुत संवेदना एवं गंभीरता से पहले प्रयास करते गतिविधी पर अंकुशनहीं लगाया गया तो वर्ग संघर्ष से उपजकर बंदूक -बम-बारूद के बल पर उत्पन्न होने आतंक-अशांति से भी कहीं ज्यादा गंभीर समस्या मतातंरीत/धर्मातंरीत और मूल आस्था पर अडिग रहने वालों के बीच ” वर्ग- संघर्ष ” बतौर उत्पन्न हो सकता है जिसका पूर्वाभास प्रारंभ हो गया है।
ग्राम पुजारी लक्ष्मीनाथ मंडावी
ग्राम पटेल रामू राम दुगा
फागूराम मंडावी। असाडू राम नेताम महरु राम मंडावी संतोष उइके रमेश उसेंडी गंभीर अतकारी। रमेश बैघ हेमराज साहू। स राजूराम महाकीर एन एल नाग। टी .आर.नाग सकरु राम धर्म सिंह राणा श्रवणदीपक
रुपा जैन एवं सैकड़ों लोग उपस्थित रहे
पवन नाग की रिपोर्ट….