.एस.सी.पी.एल कंपनी कर रही है छत्तीसगढ़ में शोषण

महासमुंद- छत्तीसगढ़ में जब से आंध्रप्रदेश की एक कंपनी सड़क निर्माण के लिए आयी है। इस कंपनी के द्वारा छत्तीसगढ़ को चारागाह बना लिया है। यह निर्माण एजेंसी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण नई दिल्ली छ.ग. बाघ नदी राजनांदगांव से लेकर महासमुंद जिले के बंजारी नाका तक 4लाइन सड़क निर्माण का ठेका लिया है। इस कंपनी के द्वारा सड़क निर्माण से पहले सड़क सिमा पर आने वाले बड़े-बड़े वृक्षो को काटना चालू किया था। जिसमे जलाऊ लकड़ी के साथ ही सागौन, बीजा, सराई, शीशम जैसे अन्य कई प्रजातियों के कई बड़े-बडे पेड़ो को काटा गया है। वह लकड़ी कहा गयी इसका अता पता किसी के पास नही है। इसी प्रकार से कंपनी के द्वारा सड़क सिमा पर किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है।

जिसमें छत्तीसगढ़ के लोगो की भूमि का मुआएजा बहुत कम राशि दिया गया है। ऐसे भी कई किसान है जिन्हें आज तक मुआएजा राशि प्राप्त नहीं हुआ है। पीड़ित हितग्राहियों के भुगतान राशि मे से 10 प्रतिशत टी.डी. एस राशि के नाम पर रोककर भुगतान किया गया है। जो बाघ नदी से बंजारी नाका तक अरबों रुपए का भुगतान टि.डी. एस राशि काटी गयी है, जिनका आज तक भुगतान नहीं दिया गया है। वह राशि का जिम्मेदार कौन है?

और क्या कारण है? इस कंपनी के द्वारा किसानों की भूमि के अलावा छत्तीसगढ़ शासन की सड़क सिमा से लगे घास, पानी के निचे की भूमि, जलचर, कोटवारों की भूमि, आबादी भूमि, छोटे झाड़ के जंगल, बड़े झाड़ के जंगल, चटान, पहाड़ी जैसे अन्य शासकीय भूमि पर भी सड़क निर्माण के लिए भूमि लिया है। लेकिन उक्त भूमि की राशि जो छत्तीसगढ़ शासन को प्राप्त होना था। वह राशि भी किन नेताओं को प्रदान किया गया है, यह सबसे बड़ा जांच का विषय है बाघ नदी से लेकर बंजारी नाका तक इनके मिली भगत से कई फर्जी किसान बनाकर मुआएजा राशि दिया गया है। इसी प्रकार से इस कंपनी के द्वारा छत्तीसगढ़ के खनिज संपदा नेटाओं के संरक्षण में मुरम, गिट्टी, बालू, मिट्टी जैसे खनिज को नाम मात्र की रॉयल्टी देकर जी भरकर खनिज संपदा की चोरी किया है।

जिसका एक छोटा सा प्रमाण बसना विकास खण्ड के ग्रामपंचायत कोटेनधरा आश्रित ग्राम छिर्रालेवा के मुनि पहाड़ी की भूमि को देख सकते है कि इस कंपनी ने ब्लास्ट कर कर के पहाड़ी को खाई में तब्दील कर दिया है। यदि उस खाई में कोई जानवर या इंसान गिरता है तो उसका बचना संभव नहीं है। वह खाई आज भी चारों तरह से खुला हुआ है। इस कंपनी के द्वारा बिना किसी अनुमति के पंचायतों द्वारा लगाए गए वृक्ष रोपण घास भूमि पर वृक्ष रोपण को भी काटकर उप्त घास भूमि के स्थान पे रेस्टुरेंट, दुकान, स्टाफ कुवाटर, मोटर गेरेज अन्य प्रकार के भवनों का निर्माण कीया है। यह भूमि ग्रामपंचायत मोहोका की है। इसी प्रकार से ग्रामपंचायत सिंघनपुर, छुईपाली की भी घास जमीन पर टोल नाका लगाकर बिना किसी नजूल अनुमति के अतिक्रमण किया है।

यह कंपनी रायपुर से लेकर सरायपाली तक 3 टोल नाका लगाए है। जहाँ वाहनों से टोल टैक्स लिया जाता है। जबकि नियम अनुसार 80 किलोमीटर की दूरी पर टोलनाका लगाने का नियम केंद्रीय लोग निर्माण का है। जो 55 किलोमीटर पर एक टोल नाका वर्तमान में देखा जा सकता है। इस कंपनी में अधिंकाश मजदूर आंध्रप्रदेश के है। कुछ राजनैतिक दबाव के कारण इस कंपनी के द्वारा छत्तीसगढ़ के पढ़े लिखे युवाओ को कुछ स्थानीय को नौकरी में लेकर उनका शोषण किया जा रहा है। वेतन कम डयूटी ज्यादा। जिसके विरोध में स्थानीय कर्मचारियों ने टोल प्लाजा कार्यलय के सामने प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की है। स्थानीय कर्मचारियों को बिना किसी वजह के हटाया जा रहा है। कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया नही जा रहा है। कर्मचारियों को जबरन आंध्रप्रदेश स्थानांतरण किया जा रहा है। जिस कारण छत्तीसगढ़ के स्थानीय कर्मचारियों ने कंपनी प्रबंधक को अपने 10 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है। कर्मचारियों ने बताया कि 5 साल से वेतन बढ़ाया नहीं गया है। कर्मचारियों का प्रमोशन नहीं किया जा रहा है। जबकी अपॉइंटमेंट लेटर में साफ लिखा है कि भारत में कही भी कर्मचारियों का ट्रांसफर किया जाए तो उन्हें जाना पड़ेगा। इसके लिए कंपनी की ओर से 3 साल सर्विस होने के बाद फैमिली के लिए रूम, रेस्ट और अन्य खर्च प्रदान किया जाता है। लेकिन कंपनी के द्वारा ऐसे मजदूरों से काम करवा कर उनके वजीफ मजदूरी का भुगतान नही करते हुए उनका शोषण किया जा रहा है। अगर समय रहते इस कंपनी जो आंध्रप्रदेश से आकर छत्तीसगढ़ के भोले भाले मजदूरों का शोषण कर रही है, समय रहते इस कंपनी के ऊपर नियमानुसार कार्यवाही नहीं करती है तो छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना कभी भी उग्र आंदोलन कर सकती है। वैसे भी इस कंपनी में वर्तमान जितने भी आंध्रप्रदेश के मजदूर कार्य कर रहे है। उनका पंजीयन श्रम विभाग में नहीं है, ना ही इन मजदूरों का बीमा कराया गया है। यदि किसी मजदूर की मृत्यु होती है तो उनको भी कफन दफन यही कर दिया जाता है। इस कंपनी का मुख्यालय छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्य मार्ग से ना होकर 80 कम दूर धमतरी में मुख्यालय बनाने के पीछे क्या राज है? किसी भी व्यक्ति को यदि विभाग से कोई अनापत्ति प्रमाण लेना हो तो उन्हें धमतरी का चक्कर काटना पड़ता है।

चिराग की चिंगारी बजरंग लाल सेन

Youtube

मिल्खा सिंह ज्ञानी

एडिटर-इंडिया007न्यूज मो.+91 98279 34086

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button