भाजपा जिलाध्यक्ष के चयन में चिंतन मंथन जरुरी
💥योग्यता के साथ दबंग व बेदाग छवि जरूरी💥
👉राजनादगांव । पूर्व महापौर, पूर्व सांसद के उपरांत जिला अध्यक्ष पद पर शानदार कार्य कर चुके मधुसूदन यादव को भाजपा संगठन ने राजनांदगांव जिले से बाहर कर प्रदेश में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौप दी है। कहने को यह पद जिले से बड़ा पद है परंतु उपाध्यक्ष पद प्रायः संगठन में डमी समझा जाता है और इस पद पर पदासीन पदाधिकारी को लेकर कोई खास उत्साह संगठन कार्यकर्ताओं और नेताओं में नहीं रहता है। इन सब के बीच चर्चा यह है कि प्रदेश में राजनीतिक संक्रमण काल से गुजर रही भाजपा ने चुनावी वर्ष के पहले डा रमन सिंह के बांये दाये माने जाने वाले नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को हाईकमान को तत्काल हटाया। भाजपा ने अपना नया प्रदेश अध्यक्ष सांसद अरुण साहू को तथा नेता प्रतिपक्ष के रूप में नारायण चंदेल को बनाकर ओबीसी मतदाताओं को रिझाने की पहल की है। हालांकि अचानक इस नये फेरबदल से राज्य के आदिवासी वर्ग के नाराजगी की चर्चा चलायी गयी है पर इन विवादो के बीच चर्चा है कि जिस तरह से ओबीसी चेहरे पर दाँव लगाया गया है। उसी तरह भाजपा संगठन छत्तीसगढ में भावी सीएम चेहरे के रुप में आदिवासी प्रतिनिधित्व देकर चौकाने वाली पहल कर सकता है। ऐसे समय में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बदलने के बाद स्वाभाविक रूप से जिले में जिलाध्यक्ष की रवानगी तय थी और माना जा रहा था कि आगामी आंदोलन व रणनीति के लिये जिले मे दबंग सरल व बेदाग छवि वाले नेता को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाए। इस पर मंथन हुआ और विभिन्न जिला अध्यक्षों की छुट्टी कर दी गई । इस गणित में राजनांदगांव जिला भी चपेट में आ गया। राजनीतिक विश्लेषण करने वालो का मानना है कि राजनांदगांव एक ऐसा जिला है जो छत्तीसगढ़ का प्रवेश द्वार वाला जिला है। यहां का राजनीतिक तापमान हमेशा हाई रहता है और राजनीतिक हलचल भी राजनांदगांव से शुरू होती है। ऐसे में चुनावी वर्ष के पहले भाजपा को कार्यकर्ता व जनता के बीच लोकप्रिय काबिल जिला अध्यक्ष नहीं बदलना था और मधुसूदन को एक बार फिर जिले में मौका देकर आगामी चुनाव तक राजनीतिक तापमान को हाई रखना था, परंतु यह किस कवायद के तहत किया गया। यह तो भाजपा संगठन ही जानता है परंतु राजनीति में रुचि रखने वालो के बीच यह चर्चा चल पड़ी है कि मधुसूदन यादव को प्रदेश मे डमी पद देकर किनारे कर दिया गया है। जिले मे उनकी कद व योग्यता के समकक्ष पार्टी समर्पित आगामी जिला अध्यक्ष कौन व कैसा होगा। वर्तमान में जिस तरह के नाम आ रहे हैं उसको लेकर भी कई प्रकार की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि कुछ लोग अखबारो में प्रायोजित ढंग से अपने अपने नामों को उछाल रहे हैं। यह सब भी वह इसलिये कर रहे है कि यह पद तो मिलने से रहा, उनके नाम पर कम से कम कोई अन्य पद पर तो विचार हो जायेगा। इन नामों में कुछ ऐसे भी नाम है। जिनके कुख्यात कारनामे अवैध उत्खनन, पार्टी सामग्री बेचने सहित विभिन्न आरोप पूर्व मे अखबारो की सुर्खियो में रहे है। ऐसे नामों के बीच भाजपा को जिला अध्यक्ष के रुप में योग्य व लोकप्रिय बेदाग छवि का उम्मीदवार मिले, अपने आप में पार्टी के लिये चिंतन मंथन का विषय है। आम जनता वर्तमान में सत्तासीन कांग्रेस के राज में विभिन्न समस्याओ से जुझ कर तंग आ गई है और सशक्त विपक्ष के रूप में भाजपा को ही देख रही है।ऐसे समय राजनांदगांव के जिला भाजपाध्यक्ष पद का चयन सावधानी से जरुरी है नही तो भाजपा के पास आगे पछताने के अलावा कुछ नही रहेगा। जिला भाजपाध्यक्ष पद की दौड में अगर नजर डाली जाए तो योग्यता के मापदंड में कार्यकर्ताओ के बीच तीन ही नाम पर ही चर्चा है। इन नामों में एक सरल और संगठन को हर प्रकार के ताकत ऊर्जा देने वाले और आम जनता के बीच लोकप्रिय वरिष्ठ युवा नेता राजेंद्र गोलछा तथा दूसरे नम्बर पर किसान परिपक्व नेता व संध से जुडे भाजपा नेता अशोक चौधरी का नाम आ रहा हैं। तीसरे नम्बर पर भाजपा के पूर्व महामंत्री और जिला पंचायत अध्यक्ष रहे दिनेश गांधी का आ रहा है। इसमें दिनेश गांधी तो डोगरगांव से प्रतिनिधित्व करते हैं वही अशोक चौधरी व राजेन्द्र गोलछा राजनांदगांव में ही निवासरत होकर भाजपा मे निष्ठा के साथ सकिय है। अन्य नामों की चर्चा की जाए तो एक नाम जिला भाजपा सोशल मीडिया में सक्रिय कमल सोनी है जिनकी सकियता के चलते किसी नेता के इशारे पर प्रताडना के खेल में उनकी शासकीय सेवा मे पदस्थ पत्नी को वर्तमान में राजनांदगांव से बालोद भेजा गया है। अन्य नामो पर पूर्व मंडी उपाध्यक्ष कोमल सिंह राजपूत, युवा नेता राजा भोजवानी के नाम भी जिला भाजपाध्यक्ष की दौड में सामने आए हैं। पार्टी सूत्रो के अनुसार आज 14 सितंबर को डॉ रमन सिंह का राजनांदगांव आगमन हो रहा है और वह अपने राजनांदगांव भ्रमण के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेताओं से राय विमर्श कर जिला अध्यक्ष के रूप में एक दो नाम पर अपनी राय लेगे। यह बात भी तय है कि इनमें जिलाध्यक्ष के पद में हर नेता चाहेगा कि उसका पसंदीदा आदमी जिलाध्यक्ष बने। अब इनमें सांसद संतोष पांडे ने भी पूर्व में भी अपने जिला अध्यक्ष बैठाने में बैठाने के लिए पूर्व में काफी दौड़-धूप की थी लेकिन वह सफल नहीं हो पाये किंतु इस बार वह रणनीति के तहत अपने आदमी को जिला भाजपाध्यक्ष बनाने के जोडतोड में लगे हैं। इन सबके बीच वरिष्ठ भाजपा नेताओं को यह भी चितन मँथन करना है कि जिला भाजपा अध्यक्ष के रूप में उस व्यक्ति का चयन हो। जिसका पार्टी कार्यकर्ताओं से आम जनता के बीच स्पष्ट और साफ छवि हो और अपने छवि के चलते वह जनहित के मुद्दे पर खुलकर अपनी आवाज उठा सकें और जनता के बीच स्थान पा सके। फोटो छपाकर उसके आड में काले कारनामे करने वाले कतिपय भाजपा नेता तथा उनके आशीर्वादक यह सोच रहे है कि किस प्रकार से जुगाड़ कर उनका पसंदीदा जिला भाजपाध्यक्ष बन जाए तो यह जिले में भाजपा के लिए भी एक बहुत बड़ी क्षति होगी। वैसे भी राजनांदगांव को छोडकर सभी विधानसभा में कांग्रेस के ही प्रत्याशी विजयी हुए है। भाजपा कार्यकर्ताओं सहित आम जनता के बीच यह चर्चा है कि जिला भाजपा अध्यक्ष राजनांदगांव मुख्यालय से ही होना चाहिए क्योंकि बहुत से मसलों पर राजनांदगांव मुख्यालय से राजनीति का असली बिगुल बजता है। इसको लेकर लोगों के बीच यह चर्चा चल पड़ी है कि अन्य क्षेत्र का प्रतिनिधित्व मिलने से बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होगी ।वैसे भी चुनावी वर्ष के नजदीक आगमन के साथ जिला भाजपाध्यक्ष का पद महत्वपूर्ण होगा और इस पर चयनित व्यक्ति के पूर्व सहित वर्तमान क्रियाकलाप पर भाजपा के आला नेताओ के साथ कांग्रेस की नजर रहेगी।👇
📞देवेन्द्र कुमार की रिपोर्ट✒