आर्थिक अनियमितता, मामला दर्ज न कराने पर आईएएस के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका


महासमुंद । आर्थिक अनियमितता के मामलों में हस्तशिल्प विकास बोर्ड और माटी कला बोर्ड के प्रबंध संचालक सुधाकर खलखो (आईएएस) के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज न कराने पर किसान मजदूर संघ छत्तीसगढ़ के संयोजक ललित चंद्रनाहू ने अब हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने जनवरी 2022 में एक शिकायत पत्र राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो/एंटी करप्शन ब्यूरो में प्रस्तुत किया। छत्तीसगढ़ के कारीगरों की आजीविका का साधन उपलब्ध कराने और उनकी पारंपरिक कला को प्रोत्साहित करने के लिए शासन द्वारा हस्तशिल्प विकास बोर्ड तथा माटी कला बोर्ड की स्थापना की गई है। इन दोनों संस्थाओं में प्रबंध संचालक के पद पर सुधाकर खलखो कार्यरत हैं। उनके विरुद्ध शिकायत प्राप्त होने पर शासन स्तर से एक तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया। ग्रामोद्योग विभाग के विशेष सचिव भुवनेश यादव (आईएएस) जांच दल के प्रमुख थे। जांच दल में वित्त विभाग के अधिकारी भी शामिल थे। जांच दल के गठन का आदेश शासन द्वारा 19 अगस्त 2021 को किया गया था, जिसके अनुपालन में जांच दल द्वारा 7 पृष्ठीय जांच प्रतिवेदन तैयार कर 55 अन्य प्रासंगिक सहपत्रों सहित उसे ग्रामोद्योग विभाग में प्रस्तुत किया गया। ग्रामोद्योग विभाग द्वारा जांच प्रतिवेदन आवश्यक कार्रवाई के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा गया, क्योंकि खलखो आईएएस कैडर के अधिकारी हैं। उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ही सक्षम प्राधिकारी हैं। लेकिन, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा न तो उक्त अधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई प्रारंभ की गई और न ही उनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया गया। जांच प्रतिवेदन के अनुसार सुधाकर खलखो द्वारा बरती गई गंभीर आर्थिक अनियमितता और आपराधिक कृत्यों का विवरण इस तरह है-
20 लाख रुपए की फोटोग्राफी
- जांच प्रतिवेदन का प्रथम बिंदु छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा समस्त घटकों की आॅनलाइन मार्केटिंग हेतु उत्पादों की फोटोग्राफी कराए जाने से संबंधित है। प्रबंध संचालक खलखो द्वारा भंडार क्रय नियमों का पालन किए बिना धमतरी की एक फर्म को लगभग 20 लाख रुपए की फोटोग्राफी का कार्यादेश जारी कर भुगतान किया गया है। भुगतान 15 मार्च 2020 से 7 नवंबर 2020 की अवधि में 21 देयकों के माध्यम से किया गया है। देयकों की राशि 99 हजार रुपए के आस-पास रखी गई है। उत्पादों की फोटोग्राफी के लिए फर्मों से स्वतº संपर्क कर दर पत्रक प्राप्त किए गए हैं। जबकि छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम 2002 के नियम-4, 3, 3 (द्बद्बद्ब) में विहित प्रावधान के अनुसार 10 लाख रुपए से अधिक तथा 20 लाख रुपए की सीमा तक खरीदी या व्यय के लिए प्रदेशस्तरीय बहुप्रसारित दो समाचार पत्रों और राष्टÑीय स्तर के एक समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित किया जाना अनिवार्य है।
बोर्ड को 62980 रुपए प्राप्त, 3272439 रुपए खर्च - जांच प्रतिवेदन के बिंदु क्रमांक-2 में हस्तशिल्प विकास बोर्ड के उत्पादों की बिक्री अहमदाबाद के निजी फर्म से किए जाने पर बोर्ड को होने वाले नुकसान का उल्लेख है। प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर संचालन का निर्णय प्रबंध संचालक द्वारा अपने स्तर से लिया गया है। जबकि यह एक नीतिगत निर्णय था, जो बोर्ड के संचालक मंडल द्वारा किया जाना था। इसके लिए शासन से निर्देश प्राप्त किया जाना था उक्त मोड से व्यवसाय किए जाने के कारण बोर्ड को वर्ष 2020 और 2021 में माह जुलाई तक मात्र 62980 रुपए की प्राप्ति हुई। जबकि व्यय की गई राशि 3272439 रुपए है। पीपीपी मोड में व्यवसाय के लिए फर्मों के चयन में भी टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
क्रय नियमों का पालन न कर शासन से छल - बिंदु क्रमांक-3 जांच प्रतिवेदन का सामान्य है। बिंदु क्रमांक- 4 स्टूडियो निर्माण से संबंधित है। इसमें 10 लाख रुपए से अधिक व्यय करने के बावजूद टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। उत्पादों की फोटोग्राफी में लगभग 20 लाख रुपए व्यय किए जाने के बाद प्रबंध संचालक द्वारा स्टूडियो का निर्माण कराया गया और इसके लिए उन्होंने एक फर्म को 11 लाख 75 हजार रुपए का भुगतान क्रय नियमों का पालन किए बिना कर दिया। प्रबंध संचालकर द्वारा जहां एक ओर शासकीय धन का आपराधिक दुर्विनियोग किया गया है, वहीं दूसरी क्रय नियमों का पालन न कर शासन से छल किया गया है।
वाहन की खरीदी में बरती वित्तीय अनियमितता - जांच प्रतिवेदन का अंतिम बिंदु वाहन खरीदी से संबंधित है। जांच प्रतिवेदन में एक ही वाहन की खरीदी में बरती गई वित्तीय अनियमितता का उल्लेख है। जबकि कुल 5 वाहन खरीदे गए हैं। यह भी संभव है कि जांच की अवधि में खरीदे गए वाहन की संख्या मात्र एक तक सीमित रही हो। प्रबंध संचालक द्वारा जो वाहन क्रय किए गए हैं उसके लिए न तो विभाग/शासन द्वारा आवंटन उपलब्ध कराया गया है और ना ही वाहनों की खरीदी के लिए वित्त विभाग से अनुमति प्राप्त की गई है। वाहनों की खरीदी अन्य मदों और ब्याज की राशि से की गई है, जबकि वाहनों की खरीदी न तो किसी अन्य मद की राशि से की जा सकती है और न किसी मद की ब्याज की राशि से। श्री खलखो द्वारा वाहनों की खरीदी में वित्त एवं योजना विभाग के परिपत्रक क्रमांक 1000/बी-1/चार/2003, दिनांक 2 दिसंबर 2003 में दिए गए निर्देशों का भी पूर्ण रूप से उल्लंघन किया गया है। इस प्रकार खलखो द्वारा अन्य मद की राशि से बिना सक्षम अनुमति के वाहन क्रय कर शासकीय धन का स्पष्ट रूप से आपराधिक दुर्विनियोग किया गया है। वाहन क्रय की संपूर्ण राशि वसूली योग्य है।
प्रबंध संचालक के विरुद्ध प्रस्तुत शिकायत पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर कार्रवाई प्रारंभ नहीं किए जाने पर शिकायतकर्ता द्वारा प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, अपर मुख्य सचिव गृह विभाग और सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र प्रेषित कर प्रबंध संचालक के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ करने पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो/एंटी करप्शन ब्यूरो को निर्देशित किए जाने का अनुरोध मार्च 2022 में किया गया था। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि सुधाकर खलखो के विरुद्ध प्रारंभिक जांच पूरी कर ली गई है। एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की अध्यक्षता में गठित जांच दल द्वारा खलखो को आर्थिक अपराधों का दोषी पाया गया है, लेकिन उनके पदीय हैसियत को ध्यान में रखते हुए उन्हें विधि विरुद्ध प्रशासकीय संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। पत्र में यह भी स्पष्ट कर दिया गया था कि 15 दिवस के अंदर प्रबंध संचालक के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं कराए जाने पर न्यायालय की शरण में जाना शिकायतकर्ता की विवशता होगी, पर शिकायतकर्ता का उक्त पत्र किसी तरह का सार्थक परिणाम नहीं दे पाया, अंतत: शिकायतकर्ता ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की है। श्री चंद्रनाहू ने यह भी बताया कि प्रबंध संचालक ने अपनी पदीय शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए दोनों संस्थाओं में अनेक लोगों को नियम विरुद्ध नियुक्तियां दी है। इसकी अलग से शिकायत की जाएगी।
चिराग की चिंगारी
बजरंग लाल सैन