क्या कोटवारी भूमि का भी तबादला होता है?

ये सम्भव है केवल सरायपाली में
सरायपली- तहसीलदार कुर्रे ने हाइकोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए ग्रामपंचायत जोगनीपाली स्थित भुमि खसरा नंबर 136 रकबा 0.9 हे. कोटवारी शासकीय भूमि को दुर्गा राइसमिल संचालक श्रीमती मनीषा देवी पति विनोद अग्रवाल के द्वारा तहसीलदार से साठ-घाठ करते हुए उक्त कोटवारी भूमि के बदले ग्राम सराई पतेरा में भूमि तबादला किया जाना बताया जाता है। इस फर्जीवाड़े में ग्रामपंचायत जोगनीपाली सरपंच सचिव के साथ ही उपसरपंच पंचगण भी अपनी सहमति दिए हुए है। जबकि माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा इस प्रकार की भूमि पर किये गए अवैध खरीदी बिक्री को निरस्त करते हुए क्रेताओं के विरुद्ध पुलिस थाना में एफ.आई.आर दर्ज करने का आदेश दिया गया था। उसके बावजूद तहसीलदार युवराज कुर्रे के द्वारा कानून की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए मनीषा अग्रवाल के द्वारा कोटवारी भूमि पर किये गए अतिक्रमण को बचाते हुए फर्जी तरीके से कोटवारी भूमि का तबादला किया गया है। अगर इस प्रकार के तबादला नीति को निरस्त करते हुए संम्बधित लोगो पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तो कोटवारी भूमि पर किये गए अवैध खरीदी बिक्री करने वाले लोग इसी प्रकार से तबादला नीति को अपनाते हुए माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को ठेंगा दिखाते रहेंगे। क्योंकि जिस कोटवारी भूमि को मनीषा अग्रवाल के द्वारा तबादला करवाया गया है, वह भूमि सरायपाली तहसील से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिसका मूल्य करोड़ो रूपये बताया जाता है। और जिस भूमि को तबादला में दिया गया है वह सरायपाली से कई किलोमीटर की दूरी पर हज़ारो रुपये एकड़ की भूमि बताया जाता है। वैसे तो इस मामले की जांच करने हेतु कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी (रा.) सरायपाली जिला महासमुंद ज्ञापन क्रमांक 343/क/वा-1/अवि-अ 2021, दिनांक- 22/02/2021 सरायपाली तहसीलदार न्यायालय को दिया गया है। जिसकी जांच कार्यवाही एक महीने के अंदर अनुविभागीय अधिकारी को देना था। लेकिन तहसीलदार ने अपने काले कारनामे को दबाने के लिए आज तक जांच प्रतिवेदन अनुविभागीय अधिकारी को नहीं देना अनेक संदेह को जन्म देता है। जबकि ऐसे कोटवारी भूमि की खरीदी बिक्री करने वालो पर तुरंत एफ.आई.आर करने का आदेश उच्च न्यायालय ने दिया हुआ है।
आगे की जानकारी के लिए इंतेज़ार कीजिये।
चिराग की चिंगारी
बजरंग लाल सैन