रात के अंधेरे में होती है जमीनों की रजिस्ट्री

स्थल निरीक्षण जरूरी नहीं
दलालों की पौ बारह
बजरंग लाल सैन

महासमुंद / जिले के सरायपाली में स्थित उप पंजीयक कार्यालय (रजिस्ट्री आफिस) में इन दिनों जमीन का बिना निरीक्षण किये ही धड़ल्ले से रजिस्ट्री किया जा रहा है. टोकन काटने, कार्यालय खुलने व बंद होने का भी कोई निश्चित समय नहीं है. ग्रामीण अंचल के किसानों को रजिस्ट्री के नाम पर दिन भर बिठाया जा रहा है और रात में रजिस्ट्री की जा रही है. इस तरह का मामला गत दिनों यह नजारा पंजीयन आफिस में देखने को मिला, जहाँ रात्रि 8 बजे भी कार्यालय खुला था और रजिस्ट्री हो रही थी.
शासन के निर्देश पर सभी शासकीय कार्यालयों को खोलने व बंद करने के लिए एक निश्चित समय निर्धारित किया गया है. किसान जमीन खरीदी-बिक्री की रजिस्ट्री करवाने के लिए उप पंजीयक कार्यालय पहुँचते हैं. लेकिन अधिकारी अपने द्वारा तय समय पर पहुँच कर ही किसानों का टोकन निर्धारित समय के बाद काट कर स्वयं के द्वारा बनाये गए समय पर रजिस्ट्री का कार्य कर रहे हैं. ब्लॉक के गमारडीह के किसान विनोद पिता दशरथ व रमेश पिता दशरथ ने अपनी पुरखौती जमीन 2.77 एकड़ पूनम अग्रवाल गनियारीपाली को बेची थी, जिसकी रजिस्ट्री करवाने के लिए वे सुबह से पहुँचे हुए थे. लेकिन उन्हें साढ़े 4 बजे 36 वाँ नंबर का टोकन मिला और रात्रि 8 बजे उनका नंबर आया. इसी तरह निन्द्रा चौधरी को 38 वें नंबर का टोकन और पलसापाली के ऋषि कुमार साहू को भी साढ़े 4 बजे टोकन दिया गया था. जबकि जानकारी अनुसार दोपहर डेढ़ बजे तक टोकन वितरण किया जाना था. ऐसी क्या मजबूरी थी, जो साढ़े 4 बजे तक टोकन वितरण किया गया. शासन के नये आदेशानुसार सुबह 10 बजे से 5 बजे के मध्य कार्यालयों का संचालन किया जाना है. कार्यालय बंद होने के आधा घंटे पहले टोकन वितरण से कई तरह के संदेह भी उत्पन्न हो रहे हैं.

स्थल निरीक्षण के लिए नहीं पहुँच रहे अधिकारी

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार रजिस्ट्री के लिए साढ़े 4 बजे तक किसानों का 38 टोकन काटा गया था. जिसमें से 30 किसानों के जमीनों की रजिस्ट्री हुई. लेकिन एक भी किसान के जमीन का निरीक्षण करने कोई भी अधिकारी नहीं पहुँचे. बिना स्थल निरीक्षण के ही सभी की रजिस्ट्री हो गई.

शासन के तीन बिंदुओं पर होती है रजिस्ट्री, की जा रही है अनदेखी

शासन के द्वारा रजिस्ट्री के लिए मुख्य तीन बिंदू निर्धारित की गई है, जिसके बाद ही रजिस्ट्री किया जाना है. उसमें से बिक्री हो रहे जमीन का बाजार मूल्य, उक्त स्थल में कीमती पेड़ या विवाद का न होना एवं बिक्री की जमीन आदिवासी से अन्य जाति के लोगों के क्रय हेतु न हो. लेकिन हुए रजिस्ट्री में शासन के इन तीन बिंदुओं की अनदेखी कर रजिस्ट्री की गई है.

रजिस्ट्री ऑफिस के पास सक्रिय रहते हैं जमीन दलाल

पहली बार रजिस्ट्री करवाने के लिए उप पंजीयक कार्यालय पहुँचे किसानों को किसी तरह की जानकारी नहीं रहती. अनजान किसान आसपास के लोगों को पूछकर कार्यालय के भीतर जाते हैं, लेकिन कार्यालय के समीप जमीन दलाल सक्रिय रहते हैं, जो समय पूर्व रजिस्ट्री करवाने का लालच देकर मोटी रकम लेकर किसानों को लूट रहे हैं. वे दलाल कार्यालय के कर्मचारियों से सांठ-गाँठ कर अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं. इससे किसानों को हजारों रूपये अतिरिक्त खर्च कर रजिस्ट्री करवानी पड़ रही है.

रात तक चल रहा है कार्य, बड़े अधिकारियों को नहीं है जानकारी

कार्यालय बंद होने के समय रात तक हुए रजिस्ट्री कार्य की जानकारी न तो विभाग के उच्चाधिकारियों को और न ही थाना को थी. एक महिला अधिकारी ने समय के बाद भी कार्य करने की सूचना न तो विभाग प्रमुख को दी और न ही थाना से सुरक्षा लेना जरूरी समझा. जबकि जमीन की खरीदी-बिक्री में अक्सर विवाद की स्थिति भी निर्मित हो जाती है. कार्यालय के समय के बाद चल रहे कार्य में अप्रिय स्थिति भी निर्मित हो सकती थी. यदि ऐसा होता तो इसका जवाबदार कौन होता. इस प्रकार रात तक चल रहे कार्य में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर विभाग की ऐसी क्या मजबूरी थी कि देर रात तक कार्य करना पड़ रहा है.

सभी जमीन का मौका निरीक्षण नहीं है आवश्यक – बेग

इस संबंध में लिली बेग से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि कार्यालय खुलने का तो समय है, लेकिन बंद करने के लिए कोई निश्चित समय नहीं है. जब तक टोकन कटे सभी किसानों की रजिस्ट्री नहीं हो जाती, तब तक कार्यालय खुला रहेगा. वहीं मौका निरीक्षण के बारे में उन्होंने कहा कि सभी जमीन का मौका निरीक्षण करना आवश्यक नहीं होता, इसलिए रजिस्ट्री हो रही है।

कोटवारी जमीन का तबादला

जांच आदेश ठंडे बस्ते में

महासमुंद / तबादले अब तक केवल सरकारी, गैर सरकारी और सरकारी क्षेत्र में कामगार अधिकारियों – कर्मचारियों के ही होते रहे हैं। मगर जिले के राजस्व विभाग में अब जमीनों का भी तबादला होने लगा है मामले में जांच का आदेश भी हुआ था। जो आज तब ठंडे बस्ते की शोभा बढ़ा रहा है।
इस चौकानेवाले अत्यंत गंभीर मामले में जिम्मेदार राजस्व अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों द्वारा मिलीभगत से कोटवारी जमीन और निजी जमीन की अदला-बदली का खेल खेला गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के सरायपाली तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत जोगनी पाली में एक राइस मिल मालिक की धर्मपत्नी को लाभ पहुंचाने के लिए कोटवारी (शासकीय) भूमि खसरा क्रमांक 136 रकबा 09 हेक्टेयर के साथ ग्राम सराईपतेरा की जमीन का अदल -बदल कर लिया गया है।
बताया गया है कि, जुगनी पाली की कोटवारी जमीन शहर से सटे होने पर करोड़ों रुपए का मूल्य रखती है। बदले में दी गई ग्राम सराईपतेरा की भूमि काफी दूर होने अत्यंत सस्ती है।
जमीनी तबादले के गोरखधंधे में राजस्व अधिकारियों के साथ सरपंच सचिव भी शामिल है मामले की शिकायत पर अनुविभागीय अधिकारी सरायपाली द्वारा ज्ञापन क्रमांक – 343/क/व-1/अवि-अ 2021,दिनांक 22.02.2021 में तहसीलदार को 1 माह के अंदर जांच कर प्रतिवेदन दिए जाने निर्देशित किया गया था लेकिन तहसीलदार द्वारा आज पर्यंत तक जांच लंबित रखा गया है।

चिराग की चिंगारी

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मिल्खा सिंह ज्ञानी

एडिटर-इंडिया007न्यूज मो.+91 98279 34086

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