जनता से चुना जनप्रतिनिधि जिसे प्रशासन द्वारा फरार कहकर संविधान का उड़ा रहे हैं धज्जियां – शिव वर्मा


शासन प्रशासन का यही रवैया रहा तो जिले भर में होगा जन आंदोलन

राजनांदगांव । कवर्धा पुलिस ने राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के सांसद संतोष पाण्डे एवं पूर्व सांसद अभिषेक सिंह को अचानक फरार घोषित करते हुए दोनों के खिलाफ और अपराधिक धाराएं बढ़ा दी है,इस तरह से कवर्धा दंगे के आरोपी बताए जा रहे श्री पाण्डे और अभिषेक सिंह को फरार घोषित कर तहसीलदार से उनकी संपत्ति की जानकारी उपलब्ध कराए जाने को लेकर कड़ी निंदा करते हुए जिला भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष व पार्षद दल के प्रवक्ता शिव वर्मा ने कहा कि सांसद व पूर्व सांसद लगातार कवर्धा क्षेत्र के सार्वजनिक कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं, पुलिस प्रशासन प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा बंदोबस्‍त में लगा हुआ है, बावजूद पुलिस दोनों नेताओं के फरार होने का दावा कर रही है, जाहिर है, कि पुलिस प्रशासन सरकार के इशारे पर ऐसे तरीकों का इस्‍तेमाल कर रही है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस बदलापुर की राजनीति कर रहे हैं, जनता से चुना जनप्रतिनिधि जिसे प्रशासन द्वारा फरार कहकर संविधान का धज्जियां उड़ा रहे हैं, शासन प्रशासन का यही रवैया रहा तो जिले भर में जन आंदोलन किया जाएगा, प्रशासन ने बनाया मजाक नियम कानून का भारतीय जनता पार्टी खामोश नहीं बैठा है, सिर्फ समय का इंतजार कर रहा है, समय आने पर सभी का हिसाब किया जाएगा।
श्री वर्मा ने आगे कहा कि यह कितनी बड़ी विडंबना है कि, छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार जो जनता की सेवा करने के लिए आई है, वह अपने शक्ति का इस कदर दुरुपयोग कर रही है कि, पुलिस को ही यह निर्देश दे दिया कि एक सांसद और पूर्व सांसद को भगोड़ा घोषित करते हुए केस दर्ज करें। छत्तीसगढ़ पोलिस, राजनांदगांव के सांसद श्री संतोष पाण्डेय के ऊपर भगोड़ा होने का दोष लगाते हुए उनकी संपत्ति को कुर्क करने का भरसक प्रयास कर रही है। छत्तीसगढ़ पुलिस खासकर कवर्धा पुलिस से यह प्रश्न होने चाहिए कि जब सांसद का दैनिक प्रोटोकाल पुलिस प्रशासन के साथ साझा किया जाता है, जिसमे प्रतिदिन हर घंटे का ब्यौरा रहता है कि सांसद महोदय किस वक्त किस जगह पर होंगे तब उन्हें भगौड़ा किस आधार पर घोषित कर दिया? यह सवाल तो आज छत्तीसगढ़ के प्रत्येक व्यक्ति के जहन में है, जिसका उत्तर देने में न ही पुलिस प्रशासन, न ही छत्तीसगढ़ शासन, न ही भूपेश बघेल और न ही उनके समर्थक सक्षम हैं। प्रश्न यह है कि भूपेश सरकार राजनैतिक महत्वाकांक्षा के लिए किस हद तक गिर सकती है? “परित्राणाय साधुनाम” को आत्मसात करने वाले पुलिस बल से क्या यही अपेक्षा अब छत्तीसगढ़ की जनता रख सकती है? सबसे बड़ा प्रश्न तो यह है कि यदि भूपेश सरकार में इतना बड़ा षडयंत्र एक सांसद के साथ हो सकता है तो फिर भूपेश की नज़र में आम जनता तो किसी खेत की मूली नहीं, वे तो जब चाहे किसी की संपत्ति कुर्क कर सकते है, किसी को भी कैसी ही प्रताड़ना देकर अपनी मनमानी कर सकते हैं। जब सांसद ही सुरक्षित नहीं इस सरकार में तब आम जनता कहाँ जाए? जनता तो अपनी सुरक्षा सरकार को सुपुर्द करती है, और यदि सरकार ही जनता और जन-प्रतिनिधि के खिलाफ षडयंत्र करे तो फिर जनता अपनी सुरक्षा हेतु कहाँ जाए? प्रश्न गंभीर है, लोकतंत्र लोगो के लिए है।

देवेन्द्र कुमार की रिपोर्ट——

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मिल्खा सिंह ज्ञानी

एडिटर-इंडिया007न्यूज मो.+91 98279 34086

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