जिले में खाद की कालाबाजारी, सरायपाली क्षेत्र में किसानों से का शोषण किया जा रहा है

महासमुंद- वर्तमान में अधिकांश खाद की दुकानों में खाद की कालाबाजारी किया जा रहा है। मूल्य से अधिक रेट किसानों से लिया जा रहा है। बिल मांगने पर बिल नहीं दिया जाता। जिसका प्रमाण है, कि यदि कोई किसान किसी दुकान से खाद ले कर जा रहा है तो उसकी जांच करने पर आपको मालूम हो जाएगा कि किस प्रकार से दुकानदारों के द्वारा किसानों से जबरन ब्लैकमलिंग करते हुए, खाद की कालाबाजारी करते हुए अधिक मूल्य लिया जा रहा है।

इन दुकानदारों के द्वारा नगर के आस पास बड़े-बड़े गोदामों में खाद का स्टॉक रखा हुआ है। जिसकी जानकारी शायद खाद्य विभाग को, कृषि विभाग को नहीं होगी और यदि होगी भी तो कृषि अधिकारी ऐसे व्यापारियों के गोदाम की ओर अपनी नजर से नहीं देखते है। यदि कृषि अधिकारी इनके गोदामों पर छापामार कार्रवाई करती है, तो जिला में भारी मात्रा में अवैध रूप से रखे खाद पाए जाएंगे। जिन खादों का कालाबाजारी खुलेआम हो रहा है। इन व्यापारियों के काले करतूत सामने आ सकते हैं। इस प्रकार से यह व्यापारी किसानों का शोषण कर रहे हैं।

जिले में खाद की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है। किसानों को अब ऊंचे दाम में यूरिया, डीएपी बेची जा रही है। जबकि इसके साथ ही अनचाहा खाद या फिर दवाई किसानों को जबरन थमाया जा रहा है। इससे किसानों में शासन-प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भड़क रहा है। किसानों का कहना है कि जिले में अब तक की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। जबकि अभी भी खेतों में खाद छिड़काव किये जाने का सही समय है। यह समय गया तो उसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। जिले में कई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में किसान खरीफ फसल में धान की फसल लेते हैं। फसल बुवाई के 30-35 दिन के बाद खेत में खाद का प्रयोग को बेहतर माना जाता है। इस बार मौसम की दगाबाजी से पहले ही किसान परेशान रहने लगे हैं। बीते 5 दिन पहले हुई बारिश ने किसानों को एक बार फिर खेती की ओर मोड़ दिया है।

किसान खेतों में अब खाद डालने के लिए सोसाइटी, दुकानों और बाजारों का चक्कर काट रहे हैं। लेकिन किसानों को वाजिब कीमत पर खाद नहीं मिल रहा है। किसान मुश्किल में है। सरकारी सोसाइटी में खाद की कीमत ₹300 है, जबकि खुले बाजार में ₹430 से ₹450 तक यूरिया दिया जा रहा है। इसके अनुपयोगी प्रोजेक्ट को बेहतर होना बताकर दुकानदार किसानों को दवाई थमा रहे हैं। ₹450 यूरिया खाद के लिए लिया जा रहा है। उसके बावजूद किसानों को यूरिया ही नहीं मिल रहा है। वही डीएपी ₹1200 रुपए के स्थान पर ₹1400 से ₹1500 तक लिया जा रहा है। किसानों का कहना है कि लगातार मांग उठाए जाने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं होना नाकामी को साबित करता है। किसानों को खाद मुहैया कराने के लिए मैदानी स्तर के अधिकारी, कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। उसके बावजूद दुकानदार अधिक कीमत पर खाद बेच रहे है। उसके बावजूद दुकानदारों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जबकि शासन को चाहिए कि इस प्रकार से खाद की कालाबाजारी करने वाले दुकानदारों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही किया जाना चाहिए।
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