जांच के घेरे में राजस्थान के भी कांग्रेसियों का नाम आ रहा है

छत्तीसगढ़ में आयकर विभाग द्वारा 30 स्थानों पर की गई छापेमारी के उपरांत राज्य में पिछले 3 वर्षों से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में चलाए जा रहे गोरखधंधे से पर्दा उठता हुआ दिखाई दे रहा है, इस वृहद छापेमारी में कोलकाता से आई आयकर विभाग की टीम द्वारा भूपेश बघेल के बेहद करीबी माने जाने वाले कोयला व्यवसायी दिग्गज कांग्रेस नेता एवं प्रशासन में उनकी सबसे चहेती अधिकारी रही सौम्या चौरासिया से संबंधित ठिकानों पर प्रमुखता से दबिश दी गई है जिसके बाद उजागर हुए तथ्य हैरान करने वाले हैं।
दरअसल विभाग की छापेमारी में ना केवल भारी मात्रा में नकदी एवं आभूषण जब किए गए हैं अपितु अवैध रूप से कोयला व्यापार को संचालित करने संबंधित अहम साक्ष्य प्राप्त किए गए हैं, इस संदर्भ में आयकर विभाग द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि विभाग को छापेमारी के दौरानबड़े पैमाने पर अवैध रूप से नगद भुगतान, कोयले के व्यापार संबंधित अवैध वसूली एवं आपत्तिजनक डिजिटल साक्ष्य बरामद हुए हैं, सूत्रों की माने तो यहां आपत्तिजनक से तात्पर्य कथित तौर पर भूपेश बघेल खेमे के विधायकों के दिल्ली में दस जनपथ पर हुई परेड के दौरे के दौरान जुटाई गई आपत्तिजनक सामग्री से है, जिसके आधार पर संभवत इन विधायकों को भूपेश बघेल के खेमे में बने रहने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार इस पूरे घटनाक्रम को बघेल की चहेती अधिकारी रही सौम्या चौरसिया एवं व्यवसायी दिग्गज कांग्रेस नेता के निर्देशानुसार अंजाम दिया गया है, जिसके बाद से यह विधायक कथित तौर पर ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रहे हैं, दरअसल राज्य में इस तरह की आपत्तिजनक सामग्री एकत्रित करने का शर्मनाक इतिहास रहा है जिसे देखते हुए आयकर विभाग के बयान को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। इसके अतिरिक्त विभाग की छापेमारी में बड़े पैमाने पर कोयले के व्यापार से संबंधित घोटाले के संदर्भ में भी इशारा किया गया है जिसको लेकर भी प्रदेश की राजनीति में गहमागहमी तेज हो चली है।
दरअसल इसमें संशय नहीं कि प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद सरकारी तंत्र का सहारा लेते हुए बड़े स्तर पर लूटपाट एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया है, यह भी जानकारी है कि इस पूरे खेल में कई वरीय अधिकारियों की भी संलिप्तता सामने आई है जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चहेते दिग्गज कांग्रेस नेता एवं सौम्या चौरसिया के निर्देशों पर बड़े पैमाने पर किए जा रहे इस भ्रष्टाचार में सहभागी हैं।
छापेमारी के दौरान प्राप्त किए गए दस्तावेजों में से यह भी संकेत मिले हैं कि इस काले बजारी का एक बड़ा हिस्सा विदेशों में अवैध बैंक खातों में जमा कराया गया है जिसको लेकर इस पूरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय की भी एंट्री हो सकती है, यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि पिछले 3 वर्षों में प्रदेश में अवैध कोल टैक्स, शराब टैक्स, ट्रांसफर, जनसंपर्क, कृषि जैसे कई विभागों में की जा रही लूटपाट का ऐतिहासिक आंकड़ा 01 लाख करोड़ से भी ऊपर का हो सकता है, जिसमे 50 एकड़ अचल संपत्तियों के अधिग्रहण में किए गए निवेश के मामले तो केवल सरकारी अधिकारियों से ही संबंधित हैं, जानकारी है कि इस खुलासे के बाद अब इनके स्रोतों की जांच की जा रही है।
छापेमारी के दौरान अब तक आयकर विभाग को ₹45 करोड़ के अवैध नगद भुगतान, 200 करोड़ रुपए की अवैध वसूली, 9.5 करोड़ रुपए नगद एवं 4.5 करोड़ रुपए के आभूषण बरामद हुए हैं हालांकि सूत्रों के अनुसार यह तो केवल शुरुआत भर है और यह लूटपाट के इस गोरखधंधे के असल आँकड़ो के 1-2 प्रतिशत से ज्यादा और कुछ भी नहीं।
दरअसल प्रदेश की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले लोगों की मानें तो पिछले 3 वर्षों में भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री रहने के दौरान लूटपाट का यह बंदरबांट अपनी सभी सीमाएं लांघ चुका है और इसमे अतिश्योक्ति नहीं होगी अगर यह कहा जाए कि अपने शासनकाल में इस लूटपाट ने भूपेश बघेल को सबसे धनाट्ठ कांग्रेसियों की सूची में अव्वल स्थान पर ला खड़ा किया है, भ्रष्टाचार के इस खेल को बारीकी से समझने वालों का कहना है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही भूपेश अपनी चहेती चौकड़ी जिनमें कोयला व्यवसायी दिग्गज कांग्रेस नेता उपगृह सचिव सौम्या चौरसिया एवं प्रदेश के दो पत्रकार सम्मिलित हैं के माध्यम से राज्य में अपनी तानाशाही चला रहे हैं।
इस क्रम में मुख्यमंत्री बघेल ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ माने जाने वाले मीडिया को भी पुलिसिया तंत्र के जंजीरों में जकड़ कर रखा है, यही कारण है कि इतने बड़े पैमाने पर हो रहे लूटपाट को लेकर प्रदेश स्तर पर समाचार पत्रों एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बहुत कुछ लिखा या बोला नहीं गया है, एक वास्तविकता यह भी है कि लीग से हटकर जिस ने मुख्यमंत्री के काले कारनामों को उजागर करने का प्रयास किया भी है तो उसे पुलिसिया तंत्र के माध्यम से तत्काल प्रभाव से कर पीछे हटने को विवश किया गया है।
हालांकि 3 वर्षों के बाद ही सही आयकर विभाग द्वारा की गई इस कार्रवाई से राज्य में 3 वर्षों से जारी भ्रष्टाचार एवं लूटपाट के इस गोरखधंधे के उजागर होने की उम्मीदें बढ़ चली हैं जिसको लेकर इस गोरखधंधे के सहभागी रहे सरकारी अधिकारियों एवं मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले व्यवसायियों के भी हाथ पैर फुले हुए दिखाई दे रहे हैं अब देखना यह है कि जांच एजेंसियां प्रदेश में हुई इस ऐतिहासिक लूटपाट एवं भ्रष्टाचार से संबंधित काले कारनामों को कब और कैसे सार्वजनिक करती हैं ? दबी जुबा से लोग बताते है कि इस कोयले के काले कारनामे में राजस्थान की कांग्रेस सरकार के दिग्गज मंत्रियो का भी नाम सामने जांच करने पर आ सकता है और यह तो हाथी के दांत जैसी कार्यवाही बताई जा रही है। क्योंकि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सरकार के द्वारा वर्तमान में पूरे कांग्रेस शासित राज्यों में विधायकों की व्यवस्था संभाले हुए बताए जा रहे है।
चिराग की चिंगारी
बजरंग लाल सैन