करोड़ो के भूमि को हड़पने की साजिश

कई करोड़ के भूमि को हड़पने की साजिश
सरायपाली नगर के एक समाजसेवी कार्यकर्ता ने अनुविभागीय अधिकारी सरायपाली को 21/12/2020 को एक शिकायत किया है कि- 1. प्रबंधक- सत्यनारायण पिता विशंभर हनुमान मंदिर सरायपाली,

- प्रमुख/प्रभारी अग्रकुंज स्थल
- अध्यक्ष, अग्रवाल समाज
- अध्यक्ष, जैन समाज
- अध्यक्ष, गौड ब्राम्हण समाज
- अध्यक्ष, गुजराती समाज
- अध्यक्ष उत्कल समाज
- प्रमुख सर्व हिंदू संगठन, सरायपाली जिला- महासमुंद(छ.ग.) को पक्षकार बनाते हुए शिकायत में बताया है कि हनुमान मंदिर, सरायपाली के स्वामित्व में कृषि भूमि ग्राम पतरापाली पटवारी हल्का नंबर 13 में खाता क्रमांक- 1157 कुल खसरा नंबर 6 रकबा 1.307 हेक्टेयर प्रबंधक, सतनारायण पिता विशंभर के नाम पर ग्राम सरायपाली पटवारी हल्का नंबर 14 में खाता क्रमांक 1198 कुल खसरा नंबर 02, रकबा 0.344 हेक्टेयर कृषि भूमि, महावीर मंदिर सरवराकार पुजारी बालकदास के नाम पर दर्ज है। उक्त कृषि भूमि के अतिरिक्त हनुमान मंदिर के अधिपत्य में आबादी भूमि में निवासीय भवन एवं व्यवसायिक परिसर है। साथ ही चल संपत्ति भी है जिसका अनुमान लगाना असंभव है। हनुमान मंदिर, सरायपाली शहर के सभी हिंदू संप्रदाय एवं जातिओं के आस्था एवं श्रद्धा का केंद्र है सभी हिंदुओं द्वारा पूजा अर्चना एवं उत्सव में नियम अनुसार भाग लिया जाता है। उक्त हनुमान मंदिर सरायपाली का अग्रवाल समाज द्वारा अपने कब्जे में करते हुए मंदिर की चल व अचल संपत्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है, अग्रवाल समाज के प्रमुख ही मंदिर समिति के संचालन कर रहे हैं। समिति का गठन बिना किसी वैध प्रक्रिया का पालन अन्य समाज के बिना सहमति लिए एवं अन्य हिंदू समाज को समिति प्रबंधन में पूर्णतः दूर रखते हुए अचल संपत्ति का मनमाना ढंग से स्वयं के समाज के लिए व आर्थिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। शिकायतकर्ता ने न्यायालय से इस संबंध में निम्न बिंदुओं पर जांच कर उनके विरुद्ध कार्यवाही एवं धार्मिक स्थल के उचित प्रबंधन हेतु भूमि व भवन तत्काल शासन के कब्जे में लेकर निष्पक्ष समिति/ट्रस्ट अथवा विधि अनुकूल कार्यवाही जो न्यायहित व धार्मिक स्थल के हित में आवश्यक हो, अतिशिघ्र किए जाने का निवेदन किया है।
(क) हनुमान मंदिर समिति, सरायपाली का मूल स्वरूप क्या था? किस के द्वारा मंदिर की चल-अचल संपत्ति का प्रबंध किया जा रहा है?
(ख) हनुमान मंदिर, सरायपाली के चल व अचल संपत्ति के प्रबंधक, सत्यनारायण पिता विसंभर किन विधिक प्रक्रियाओं के अंतर्गत नियुक्त हुए? क्यों तथाकथित समिति गठन करने में अन्य हिन्दू समाज को शामिल किया गया? समिति कब गठित हुई? क्या समिति पंजीकृत है वर्तमान में कौन प्रबंधक है?
(ग) हनुमान मंदिर, सरायपाली के कृषि भूमि जो की परिवर्तित भूमि नहीं है मूल्यवान कृषि को अग्रवाल समाज सरायपाली को किस नियम एवं शर्तो के अधीन अंतरित कर दी गई? क्या समिति ने भूमि को अंतरित करने के पूर्व अन्य समाज या अन्य संस्था हेतु निवविदा या प्रस्ताव आमंत्रित किया था। अग्रवाल समाज को कृषि भूमि अंतरण का क्या प्रतिफल या किराया है?
(घ) हनुमान मंदिर, सरायपाली के अधीन संपत्ति समस्त चल-अचल संपत्ति से अर्जित आय एवं व्वय का विवरण?
(ड़) हनुमान मंदिर के अचल संपत्ति कृषि भूमि आबादी भूमि के राजस्व अभिलेख में दर्ज व्यक्तियों का अस्तित्व क्या वो जीवित है यदि नहीं तो मंदिर समिति द्वारा अनुबंध है या भूमि का अंतरण कौन व्यक्ति द्वारा किया गया है? उक्त करार का औचित्म विधिक प्रभाव है? यदि व्यक्ति दोषी हो तो शीघ्र दाणिडक कार्यवाही हेतु संबंधित विभाग को निर्देश दिया जाना आवश्यक है।
(च) क्या हनुमान मंदिर की समिति द्वारा अवैध रीति से भूमि एवं भवन का कब्जा किया गया है?
क्या समिति के प्रबंधक एवं सदस्य द्वारा स्वयं को लाभ देने अथवा हनुमान मंदिर को गंभीर आर्थिक क्षति पहुंचाने का कार्य किया है?
क्या समिति सदस्य द्वारा मंदिर की संपत्ति का अवैध अंतरण कर अपराधिक न्याय भंग जैसे गंभीर अपराध किया जा चुका है?
क्या अपराध में सहयोग करने वाले उभयपक्ष दंड के भागी है?
(छ) हनुमान मंदिर के कृषि संपत्ति अंतरण सभी किराये के दुकानों, निवास के मकान पर काबिज व्यक्ति व इस संबंध में निष्पादित सभी इकरारनामा अनुबंध पत्र को शीघ्र कब्जे में लिया जाना उचित होगा।
सार्वजनिक धार्मिक संपत्ति का दुरुपयोग करने का जिले का उक्त सबसे बड़ा प्रकरण के लिए अनावेदक क्रमांक- 01, 02, एवं 03 पूर्ण जिम्मेदार है अन्यथा अनावेदक समाज प्रमुखों को औपचारिक रूप से पक्षकार बनाया गया है, क्योंकि सभी समाज प्रमुख एवं हिंदू संगठन का दायित्व था कि उक्त अवैधानिक कार्य का विरोध करें क्योंकि अप्रत्यक्ष रूप से उक्त अवैध कृत्य के लिए शेष हिंदू समुदाय का हित प्रभावित हो रहा है। हिंदू धर्म के अनुयायी है, हनुमान मंदिर के प्रति उनकी गहरी आस्था है, आवेदक क्रमांक- 1, 2, 3 के कृत्य से उनकी आस्था व हित प्रभावित हो रही है जिस कारण उसे आवेदन करने का अधिकार है। माननीय न्यायालय से उक्त धार्मिक स्थल के सर्वोत्तम हित के लिए वर्तमान समिति को मांग करते है शासकीय प्रशासक नियुक्त करने हेतु आवश्यक कार्यवाही चाहता है साथ ही वर्षों से अवैध लाभ प्राप्त करने वाले संस्था व्यक्तियों के आचरण से हुई क्षति का उचित आकंलन कर दोषियों से रकम वसूली की कार्यवाही किया जाना आवश्यक है ताकि भविष्य में सार्वजनिक व धार्मिक स्थानों का अनुचित रूप से दुरुपयोग ना हो सके। धार्मिक व सार्वजनिक संबंधि विवाद के लिए जन भावनाओं के अनुरूप शिघ्र शांतिपूर्ण न्याय प्रदान करने की अपेक्षा शिकायतकर्ता रखता है। इसकी शिकायत अनुविभागीय अधिकारी सरायपाली से की गई थी। जिसका जांच करने हेतु तहसीलदार युवराज कुर्रे को प्रतिवेदन हेतु दिया गया था। उसके उपरांत भी आज तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही ऐसे मंदिर के संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा करने वालों के ऊपर नहीं होना नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
चिराग की चिंगारी बजरंग लाल सेन की रिपोर्ट….