ग्राम लुलीकसा में कबीर जयंती मनाया गया

युग दृष्टा संत सम्राट सदगुरु कबीर साहेब की जयंती कबीर पंथी समाज एवं समस्त ग्रामवासी लुलिकसा के तत्वाधान में सत्संग प्रवचन एवं सात्विक ज्ञान यज्ञ चौका आरती के माध्यम से बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम नादवंशाचार्य स्वामी मंगल साहेब के पावन सानिध्य में संपन्न हुआ। जनमानस को संबोधित करते हुए आचार्य जी ने कहा कि कबीर शब्द का अर्थ ही महान होता है, लेकिन इस महानता को साहेब ने व्यक्तित्व और कृतित्व के माध्यम से समाज में बिखेर दिया, जिनकी सुगंधी हम आज भी ले रहे हैं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता धर्माधिकारी श्री सत्येंद्र साहेब, कबीर मठ नादिया, ने कहा कि जब कबीर साहेब इस दुनिया में थे, तब तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने समाज में छुआछूत व धार्मिक पाखंड का जाल बिछा रखे थे। स्वयं को ऊंचा बताना व अपने कौम को उच्च बता कर लोगों में भेदभाव पैदा करना उस समय के पुजारियों व मौलवियों का धंधा बन गया था। सदगुरु कबीर साहेब ऐसी परिस्थितियों में अपनी वाणियों के माध्यम से समाज में समन्वयता व भाईचारे का भाव स्थापित करने के प्रयास किए। कबीर साहेब के आध्यात्मिक ज्ञान को हिंदू व मुसलमान दोनों ही समाज ने स्वीकारा, जिनका प्रतीक यह है कि कबीर साहेब की समाधि व मजार एक साथ मगहर, उत्तर प्रदेश में स्थित है। कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत रहे महंत संत श्री गिरवर साहेब ने कहा कि कबीर साहेब तन की साधना के साथ मन की साधना पर विशेष जोर देते हैं। हम किसी भांतिती तन को सत्संग, भक्ति व उपासना से तो जोड़ लेते हैं परंतु मन की बुराइयों को मिटाने पर ध्यान नहीं देते, इसलिए कबीर साहब ने कहा कि ‘मन न रंगाए जोगी कपड़ा रंगाए’ ।कार्यक्रम के सफल आयोजन में ग्राम पटेल महेंद्र साहू, सुदामा साहू, अशोक साहू, इंद्रजीत साहू, सालिक साहू, घनश्याम साहू व समस्त कबीर पंथी समाज का विशेष योगदान रहा।