वहशी ने बेटी की उम्र के साथ की हैवानियत


⏩सीताराम ने बेटी की उम्र के साथ की हैवानियत
⏩घुमका पुलिस ने 55 वर्षीय आरोपी सीताराम को किया गिरफ्तार
⏩ आरोपी बरबसपुर पंचायत का पूर्व सरपंच भी रह चुका है
राजनांदगांव //घुमका थाना क्षेत्र अंतर्गत बरबसपुर देवादा का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसमें अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने बालिका के साथ अनाचार किया है हैवानियत की हद पार कर आरोपी सीताराम वर्मा अपना प्रभाव और रौब पीड़ित परिवार पर बनाता रहा अंततः मामले में एफआईआर की गई और गिरफ्तारी भी हो गई एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने अपनी बेटी की उम्र के साथ हैवानियत करने का मामला सामने आया है बताया जाता है कि आरोपी सीताराम वर्मा 55 वर्ष का है बालिका की उम्र 23 साल है आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस इस मामले में कल से गंभीर नजर आ रही थी एसडीओपी खैरागढ ,अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, जिला पुलिस अधीक्षक भी सेंसिटिव मामला होने की वजह से सजग भूमिका में रहे। उक्त मामले को लेकर वर्मा परिवार पीड़ित परिवार को पर दबाव बनाये जा रहा था बताया जाता है कि उक्त आरोपी लोधी समाज के एक प्रमुख व्यक्ति का करीबी रिश्तेदार हैं, जिसके वजह से हर तरह के दबाव को लेकर पीड़ित परिवार को दबाने की भरसक कोशिश की जा रही थी पर पीड़ित परिवार को कानून व्यवस्था पर पूर्ण रूप से भरोसा होने के कारण थाने पहुंचकर मामले में शिकायत दर्ज कर एफआईआर जिस पर घुमका पुलिस ने 376,506 आईपीसी की धारा और एक्ट्रोसिटी एक्ट भी लगाया जा रहा है आरोपी सीताराम वर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है और पीड़ित का घुमका स्वास्थ्य केंद्र में एमएलसी कराया जा रहा है।
ओबीसी के सामाजिक नेता पीड़ित के बजाय आरोपी के साथ दिखे
बताया जाता है की लोधी समाज के धाकड़ नेता इस मामले के गंभीरता को देखते हुए भी पीड़ित के बजाएं आरोपियों के साथ खड़े दिखे कारण यह है कि रिश्ते में उस सामाजिक नेता जो कांग्रेस पार्टी से चुनाव भी लड़ चुका है का रिश्ते में आरोपी मामा है! रात भर मान मनोव्वल चलता रहा पर बात नही बनी यही कारण रहा कि मामला समझौता के बजाए आखिरकार थाना पहुंच गया वही समाजिक नेता छत्तीसगढ़ के न्याय प्रिय कहलाने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इर्द-गिर्द भी नजर आते हैं इसी तरह के लोग प्रदेश के मुख्यमंत्री को खैरागढ़ चुनाव में घेरे हुए थे अभी खैरागढ़ चुनाव में भी उन सामाजिक नेताओं ने कांग्रेस का डटकर प्रचार किया । सामाजिक नेताओं को अपने समाज के अलावा मानवीय व्यक्तित्व संवैधानिक सोच के दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता है तब कहीं जाकर इस तरह की अपराध का सामाजिक बहिष्कार होगा और आरोपी ऐसी घटनाओं को अंजाम देने के पहले 10 बार सोचेंगे और पीड़ित व्यक्तियों की संख्या कम होगी और सबके लिए बराबर न्याय सुलभ और सहज उपलब्ध हो पाएगा जिन नेताओं ने सामाजिक प्रेम और सौहार्द के चलते आरोपी के साथ खड़े रहे निश्चित रूप से इस घटना को अगर खुद के परिवार से जोड़ कर देखेंगे तो उन्हें अपने आप से भी नफरत होने लगेगी । और शायद उनके परिवार की बेटियों को और ज्यादा सदमा लगेगा कि उनके परिजन दुष्ट आरोपी के साथ खड़े थे!