कब तक सरपंच कर्ज में डूबे रहेंगे?
आखिर जनपद पंचायत छुरिया का मटेरियल भुगतान क्यों रुका….
कौन है इसके जिम्मेदार?

छुरिया पिछले 1 वर्षों से ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों को गति प्रदान करते हुए ग्राम पंचायत के सरपंच कर्ज से मटेरियल लेकर शासन के सबसे महत्वकांक्षी योजना नरवा गरवा घुरवा बाड़ी अंतर्गत गौठान निर्माण धान खरीदी केंद्रों में चबूतरा निर्माण नौनिहाल बच्चों के पढ़ाई हेतु आंगनवाड़ी भवन निर्माण जल निकासी हेतु नाली निर्माण दाह संस्कार हेतु मुक्तिधाम व प्रतीक्षालय महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए बकरी शेड,मुर्गी शेड, इत्यादि बहुत सारे निर्माण कार्य सरपंच अपनी जिम्मेदारी से मटेरियल खरीद कर निर्माण कार्यों को पूर्ण किए हैं और अधिकतर सरपंच कर्ज में डूबे हुए हैं जिससे सरपंचों को मानसिक तनाव से रोजाना जूझना पड़ता है आखिर कब तक ग्राम पंचायतों के मुखिया कहे जाने वाले सरपंच ऐसा ही कर्ज के भोज में जो डूबे रहेंगे? लगभग 1 साल बाद भुगतान 30 व 31 मार्च 2022 को हुआ जिस में भी जनपद पंचायत छुरिया को नहीं के बतौर राशि प्राप्त हुआ है। जिसमें जनपद पंचायत डोंगरगढ़ को 2 करोड़ 24 लाख 57 हजार 33, जनपद पंचायत छुईखदान को 2 करोड़ 21 लाख 77 हजार 275, जनपद पंचायत राजनांदगांव को 2 करोड़ 09 लाख 39 हजार 408, जनपद पंचायत अंबागढ़ चौकी को दो करोड़ 1 लाख 32 हज़ार 836, जनपद पंचायत मोहला को 1 करोड़ 25 लाख 39 हजार 229, जनपद पंचायत डोंगरगांव को 1 करोड़ 20 लाख 18 हजार 955, जनपद पंचायत खैरागढ़ को 96 लाख 98 हजार 719, जनपद पंचायत मानपुर को 37 लाख 34 हजार 997 रुपए निर्माण कार्यों के मटेरियल का राशि का भुगतान किया गया। किंतु लगभग 250 करोड़ की लंबित राशि वाले जनपद पंचायत छुरियां को मात्र 15 लाख 30 हजार 592 रुपए का भुगतान प्राप्त हुआ जिससे जनपद पंचायत छूरीया के समस्त सरपंच के मन में चिंता छाई हुई है क्योंकि मनरेगा का मटेरियल भुगतान 1 वर्ष में एक से दो बार ही होता है, जो इस वर्ष 30 व 31 मार्च को भुगतान हो गया। आखिर पूरे छत्तीसगढ़ के जिला राजनांदगांव में जनपद पंचायत छुरिया को इतना कम भुगतान क्यू?
इसका कारण क्या है?
यह जान पाना अभी मुश्किल होगा।
अधिकारी कर्मचारियों को पूछे जाने पर इसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं कहा जाता है।
आखिर कब तक इसी तरह ग्राम पंचायत के मुखिया सरपंचों को कर्ज के तले डूबे रहना पड़ेगा। एक तरफ महंगाई की मार समस्त बिल्डिंग मटेरियल आज की स्थिति में दोगुनी दर पर प्राप्त हो रहा है जिससे अब ग्राम पंचायतों में विकास कार्य करना असंभव सा प्रतीत होता है आखिर मनरेगा मैटेरियल राशि भुगतान में इतना देरी क्यों जब कार्य पूर्ण हो जाता है तो मूल्यांकन व सत्यापन के पश्चात तत्काल राशि प्रदान किया जाना चाहिए।
देवेन्द्र कुमार की रिपोर्ट—–